
यदि परिणाम बहुत ही बुरे रहें, तो यू.पी.एस.सी. को दोष न देकर, पेपर को दोष न देकर, कॉपी जाँचने वाले को दोष न देकर, और यहाँ तक कि उन किताबों को भी दोष न देकर जिनसे आपने तैयारी की है, दोष आप स्वयं में देखने की कोशिश कीजिए कि ऐसा क्यों हुआ.
UPSC Preparation Tips – मैं यहाँ आपको वह टॉर्च दे रहा हूँ, जिसकी रौशनी में आप अपने लिए सही और सच्चे वैकल्पिक विषय का चयन कर सकते हैं. आप मेरी इस टॉर्च पर भरोसा कर सकते है. हालाँकि यहाँ इसे मैंने ‘अपनी टॉर्च’ कहा है, लेकिन इस टॉर्च में जो बैटरी है, वह यू.पी.एस.सी. की है. यू.पी.एस.सी. ने मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम की चर्चा करते हुए यह बात बहुत साफतौर पर और शुरुआत में ही स्पष्ट कर दी है कि मुख्य परीक्षा का उद्देश्य किसी विद्यार्थी में इस बात का पता लगाना नहीं है कि उसके पास किसी विषय की कितनी ज्यादा जानकारियाँ हैं और उसकी स्मरण शक्ति कितनी अच्छी है. बल्कि इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि उसकी बौद्धिक क्षमता कितनी है और वह अपने विषय को कितनी गहराई से समझता है.
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महत्वपूर्ण विषय नहीं, बल्कि विषय की समझ
बात बिल्कुल साफ है कि महत्वपूर्ण विषय नहीं, बल्कि विषय की समझ है. आप ही वह हैं, जो किसी विषय को महत्वपूर्ण बनाते हैं. जब किसी भी विषय के बारे में आपकी बौद्धिक क्षमता विश्लेषणात्मक हो जाती है, तो उस विषय के बारे में आपकी समझ इतनी गहरी हो जाती है कि आप उसके बारे में अपनी मौलिक सोच विकसित करने लगते हैं. इससे सामान्य से सामान्य विषय भी महत्वपूर्ण हो जाता है. अन्यथा महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण विषय को भी आप सामान्य बना सकते हैं.
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तार्किक ढंग से विश्लेषित करने के बाद कोई फैसला
आपको अपने विषय का चयन करते समय इस टॉर्च का इस्तेमाल करना चाहिए और भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए. विषय के बारे में हड़बड़ी मत दिखाइए. इसका फैसला इत्मीनान से कीजिए. विषय के चयन के बारे में दूसरों की सुनिए जरूर, दूसरों की राय भी लीजिए, लेकिन उनकी राय से इतने अधिक प्रभावित मत हो जाइए कि उनकी राय को ही अपना निर्णय बना लें. उनकी राय को कच्चे माल की तरह इस्तेमाल करें और तार्किक ढंग से विश्लेषित करने के बाद कोई फैसला लें.
अपने विषय से प्यार है और उस पर पकड़ भी
और जब एक बार फैसला कर लें, तो उसे आसानी से बदलें नहीं. इसे तब ही बदलें जब लाख जतन करने के बावजूद आप उस विषय से प्यार नहीं कर पा रहे हों, बहुत अधिक कोशिश करने के बावजूद उस विषय पर अपनी पकड़ नहीं बना पा रहे हों. या फिर तब बदलें, जब आपको लगे कि आपको अपने विषय से प्यार है और उस पर पकड़ भी है, लेकिन परीक्षा में आपके लिए उसके परिणाम बहुत ही बुरे रहे हैं. मैं परिणाम के ‘बुरे‘ होने की बात नहीं कह रहा हूँ. ‘बहुत ही बुरे‘ होने की बात कह रहा हूँ.
सफलता चाहते हैं, तो स्वयं की कमियों पर काम करें
यदि परिणाम बहुत ही बुरे रहें, तो यू.पी.एस.सी. को दोष न देकर, पेपर को दोष न देकर, कॉपी जाँचने वाले को दोष न देकर, और यहाँ तक कि उन किताबों को भी दोष न देकर जिनसे आपने तैयारी की है, दोष आप स्वयं में देखने की कोशिश कीजिए कि ऐसा क्यों हुआ. दूसरों को दोष देने से आपको एक झूठा आत्म-संतोष तो मिल जाएगा, लेकिन सफलता नहीं मिलेगी. अब यह आपके ऊपर है कि आप आत्म-संतोष चाहते हैं या सफलता. यदि आप सफलता चाहते हैं, तो आप स्वयं ही वह हैं, जिसकी कमियों पर आप काम कर सकते हैं.
हर विषय में चयन होता है
यह बात मैं इसलिए कह रहा हूँ, क्योंकि मैंने विद्यार्थियों को अपने विषयों को बदलते हुए बहुत देखा है. वे खुद को नहीं बदलते, विषयों को बदलने में लगे रहते है, जिसके कारण आने वाले परिणाम भी कभी नहीं बदलते. जैसा कि पहले कहा जा चुका है, हर विषय में चयन होता है और यह कहीं न कहीं हमारी अपनी ही कमी है, यदि हमारा चयन नहीं हो पा रहा है तो.
एक साल को बर्बाद कर आने वाले सालों को बचाएं
लेकिन एक सच्चाई और भी है. सच्चाई यह है कि यदि वह विषय शुरुआत में ही आपकी समझ में नहीं आ रहा है, तो आप उसे बदलने में देरी मत कीजिए- भले ही आपने उसके पीछे एक साल बर्बाद क्यों न कर दिया हो. आने वाले पाँच सालों को बर्बाद करने से बेहतर तो यही है कि एक साल को बर्बाद करके आने वाले सालों को बचा लिया जाए. इससे केवल साल ही नहीं बचेंगे, भविष्य भी बचेगा. (लेखक डॉ० विजय अग्रवाल पूर्व सिविल सर्वेंट एवं afeias के संस्थापक हैं.)