
Delta plus coronavirus – कोरोनावायरस का नया रूप डेल्टा प्लस दुनियाभर में कहर बरपा रहा है। भारत में महामारी की दूसरी लहर में गिरावट के बीच अब डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Covid variant) के मामले भी धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना (Coronavirus) का ये नया रूप देश के कई राज्यों में पहुंच चुका है, जिसने सरकार की चिंताएं और भी बढ़ा दी हैं। केंद्र सरकार के अनुसार, देश के कम से कम 12 राज्यों में डेल्टा प्लस वेरियंट के 50 से ज्यादा मामलों का पता चला है, जिसमें सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र (Maharashtra) में दर्ज किए गए हैं।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ने शुक्रवार को कहा था कि कोरोनावायरस का भारत में पहली बार पाया गया ‘डेल्टा’ वेरियंट अब तक का सबसे संक्रामक प्रकार है। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अब ये वेरियंट कम से कम 85 देशों में फैल रहा है। WHO ने डेल्टा वैरिएंट को अपनी ‘चिंताजनक प्रकार’ (Variant of Concern) की लिस्ट में शामिल किया है, क्योंकि ये कुछ देशों में तेजी से फैला है, विशेष रूप से भारत में इससे संक्रमण में तेजी से वृद्धि हुई है। कहा जा रहा है कि ये वेरियंट देश में कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है।
कैसे बदलता है वायरस का रूप
वायरस म्यूटेशन (Virus Mutation) का अर्थ है वायरस की आनुवांशिक शृंखला (Genetic Chain) में बदलाव होना। सार्स COV-2 RNA वायरस है, जो समय-समय पर अपना रूप बदलता रहता है। ICMR के पूर्व प्रमुख-वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेडकर के अनुसार, यह एक सामान्य प्रक्रिया है। जब कोई भी वायरस खुद की लाखों कॉपी बनाता है, तो एक इंसान से दूसरे इंसान तक या इंसान से जानवर या जानवर से इंसान तक जाने में हर कॉपी अलग-अलग होती है। कॉपी में यह अंतर बढ़ता जाता है और कुछ समय बाद एक नया स्ट्रेन सामने आ जाता है।
डेल्टा प्लस वेरियंट चिंता का कारण क्यों है?
कोरोनावायरस के नए वेरियंट को ‘डेल्टा प्लस’ (Delta Plus Variant) या ‘AY.1 Variant’ नाम दिया गया है। कोरोनावायरस का ये वेरिएंट बहुत ही खतरनाक बताया जा है। ये भी कहा जा रहा है कि इस वेरियंट पर कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) भी कम असरदार है और पहले के वेरिएंट के मुकाबले ये वेरियंट ज्यादा संक्रामक और घातक है, जो लोगों को तेजी से संक्रमित कर सकता है। जानकारों का कहना है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट, अल्फा वेरिएंट की तुलना में 35 से 60 फीसदी ज्यादा संक्रामक है।
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WHO ने कहा कि चूंकि कोरोना वायरस कई बार अपना रूप बदल चुका है, जिसकी वजह से वायरस ने अब जो रूप धारण किया है, वो काफी खतरनाक हो सकता है, साथ ही वैक्सीन भी उस पर कम असरदार हो सकती है। एक्सपर्ट्स की मानें तो डेल्टा प्लस वेरिएंट पहले के वेरियंट की तुलना में फेफड़े की कोशिकाओं में ज्यादा मजबूती से चिपक सकता है और फेफड़ों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। ये हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को भी कमजोर भी कर सकता है और उसे चकमा भी दे सकता है।
डेल्टा प्लस वेरियंट के क्या हैं लक्षण?
डेल्टा प्लस वेरिएंट की चपेट में आने वाले मरीजों में काफी गंभीर रूप से खांसी और जुकाम देखने को मिला है। इसमें सिर दर्द, गले में खराश, नाक बहना जैसे आम लक्षण भी शामिल हैं, इसके बाकी लक्षणों को लेकर लगातार अध्ययन जारी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि डेल्टा प्लस वेरियंट में डेल्टा के साथ-साथ इसके साथी बीटा वेरियंट के लक्षण भी हैं। इनमें से कुछ लक्षणों में खांसी, दस्त, बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, उंगलियों और पैर की उंगलियों का रंग बदलना, सीने में दर्द, पेट में दर्द, मतली और भूख में कमी और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।
कैसे करें डेल्टा प्लस वेरियंट से अपना बचाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के रूस के प्रतिनिधि मेलिता वुजनोविक ने कहा कि ‘जब डेल्टा प्लस जैसे घातक वेरियंट से लड़ने की बात आती है, तो फेस मास्क पहनना, हाथों को साफ रखना और फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखना बिल्कुल न भूलें, साथ ही टीकाकरण और कड़े सुरक्षा उपाय बेहद जरूरी हैं। सोलोविएव लाइव यूट्यूब शो में वुजनोविक ने कहा, “हमें थोड़े समय के लिए प्रयासों को और तेज करना जरूरी है, नहीं तो फिर इस वायरस से बचने का भी एकमात्र विकल्प लॉकडाउन ही रह जाएगा।” इसीलिए भारत सरकार ने सभी लोगों को जल्द से जल्द टीकाकरण की सलाह दी गई है, साथ ही मास्क लगाने और फिजिकल डिस्टेंस का पालन करने को भी कहा गया है।